Article Image
comment 0 63
Jeevan ki Saralta

प्रस्तावना

“मेहनत करता चल राही कभी तो

ख़ुशियों से भरा सबेरा होगा।

प्रयत्न करता रह रात और दिन

तभी सफलता से सामना होगा।

दृढ़ता दिखा तू अपने संकल्प पर

तभी तो विश्व में विजयी होगा।

ज्ञान का दीप सदा जलाए रख,

क्षितिज पर नया सवेरा होगा।

अटल कदम जब रखेगा पथ पर,

तब आदर्श सबके दिलों का होगा।

स्वप्नों को साध ले संयम में,

कठिन डगर भी सरल बनेगी।

अपेक्षा जब न रहे किसी से,

जीवन हवाओं-सा हल्का लगेगा।“

जीवन की असली सुंदरता उसकी सरलता में है। मेहनत से परिपूर्ण प्रयासों से और सबको साथ ले संकल्प करके जब जीवन में सरलता लाकर कर्तव्य पथ पर अटल कदम रखा जाएगा, तब जीवन हवाओं सा हल्का लगेगा। जब हमारे दिन सहज हों, हमारी ज़रूरतें समय पर पूरी हों और कोई अनावश्यक जटिलता न हो, तभी जीवन वास्तव में आनंदमय बनता है। यही सरलता नागरिक जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता है।जब शिक्षा, स्वास्थ्य, जल, बिजली और परिवहन जैसी आवश्यक सेवाएँ सबको समान रूप से और समय पर मिलती हैं, तभी नागरिक जीवन वास्तव में सुगम बनता है।

सरकार की योजनाएँ और सुविधाएँ तभी सार्थक होती हैं, जब वे गाँव से लेकर शहर तक, हर वर्ग और हर व्यक्ति तक बिना भेदभाव पहुँचे। आज डिजिटल युग ने इस दिशा में एक नई आशा जगाई है। अब कई सेवाएँ ऑनलाइन मिल रही हैं, जिससे पारदर्शिता बढ़ी है और नागरिकों का समय व श्रम बच रहा है। लेकिन हमारा कर्तव्य भी कम नहीं है। 

नागरिक जीवन की सरलता केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हम सबकी साझी जिम्मेदारी है। जब हम नियमों का पालन करेंगे, ईमानदारी से अपने कर्तव्य निभाएँगे, और सुविधाओं का सही उपयोग करेंगे, तभी यह व्यवस्था और अधिक सुदृढ़ बनेगी।

यह लंबे समय से स्वीकार किया जाता रहा है कि भौतिक कल्याण, जिसे आमतौर पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के रूप में मापा जाता है, किसी क्षेत्र और उसके निवासियों के व्यापक कल्याण की पूरी तरह से व्याख्या नहीं कर सकता। हालाँकि आर्थिक विकास ने समय के साथ दुनिया भर में अरबों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है, लेकिन यह समाजों का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त नहीं रहा है। इसलिए, मूल मुद्दा विकास के एक अधिक समग्र दृष्टिकोण को विकसित करना है जिसमें ऐसे पहलू भी शामिल हों जो केवल आर्थिक प्रदर्शन तक सीमित न हों। 

इसे ध्यान में रखते हुए, नागरिकों की भलाई में सुधार के लिए जीवन-यापन में आसानी एक सार्थक लक्ष्य बन जाता है। चूँकि विकास का अंतिम उद्देश्य केवल आर्थिक उत्पादन का विस्तार करना नहीं, बल्कि जीवन-यापन की क्षमता में सुधार लाना है, इसलिए जीवन-यापन में आसानी का एक ठोस उपाय अत्यंत महत्वपूर्ण है। राष्ट्रों के शहरी केंद्रों के संदर्भ में इन पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है।

दूसरा ध्यान इसलिए ज़रूरी है क्योंकि दुनिया तेज़ी से शहरों की ओर बढ़ रही है। दुनिया की 50 प्रतिशत से ज़्यादा आबादी अब शहरों में रह रही है। 2050 तक यह अनुपात बढ़कर 70 प्रतिशत होने की उम्मीद है। भारत के लिए भी यही बात लागू होती है। 2011 की पिछली जनगणना के अनुसार, भारत की शहरी आबादी 37.7 करोड़ थी, जो देश की कुल आबादी का 31 प्रतिशत है। 2030 तक यह बढ़कर 60 करोड़ (40%) और 2050 तक 80 करोड़ (50%) से ज़्यादा होने का अनुमान है। 

जैसे-जैसे ज़्यादा से ज़्यादा भारतीय बेहतर जीवन स्तर और आर्थिक व सामाजिक अवसरों की आकांक्षा के साथ शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं, इसके साथ आने वाली चुनौतियों का समाधान करना और भी चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। लोगों की बढ़ती संख्या और संसाधनों की सीमितता के साथ, शहरों को खुद को बनाए रखने और खुशहाली व समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए कुशल प्रबंधन और योजना की आवश्यकता होगी। 

ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन करने वाली आबादी के सपने और आकांक्षाएँ हैं कि वे अपने जीवन स्तर को बेहतर बनाएँ और बेहतर जीवनयापन और आजीविका की सुविधाएँ प्राप्त करें, जिनमें भौतिक, सामाजिक, संस्थागत और आर्थिक बुनियादी ढाँचा शामिल है। तेज़ी से बढ़ते शहरी विकास के मद्देनज़र, ये सभी बड़ी चुनौतियाँ पेश करते हैं। माननीय प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इन चुनौतियों को अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के बड़े अवसरों के रूप में देखा—बुनियादी ढाँचे में निवेश से रोज़गार पैदा होंगे, जीवनयापन में आसानी होगी और नागरिकों को राष्ट्र की सेवा में उनकी सर्वोत्तम क्षमताओं के अनुसार रोजगार मिलेगा।

जीवन की सरलता से तात्पर्य जीवन की सम्पूर्ण गुणवत्ता से है, जिसका अनुभव व्यक्ति और समुदाय करते हैं, जिसमें आर्थिक, सामाजिक, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक चर शामिल होते हैं। यह एक ऐसा शब्द है जिसका प्रयोग अक्सर किसी शहर या देश की जीवन-क्षमता का आकलन करने के लिए किया जाता है।

जीवन की सरलता का अर्थ है, नागरिकों के लिए जीवन को आसान और आरामदायक बनाना, जिसमें उन्हें बुनियादी सुविधाएं, सेवाएं और अवसर आसानी से उपलब्ध हों। 

जीवन की सरलता में शामिल हैं:

बुनियादी सुविधाएं: पर्याप्त पानी, बिजली, स्वच्छता, और आवास।

शहरी गतिशीलता: सार्वजनिक परिवहन, सड़कों, और यातायात प्रबंधन।

डिजिटल कनेक्टिविटी: इंटरनेट, मोबाइल सेवाएं, और ई-गवर्नेंस।

सुरक्षा: नागरिकों की सुरक्षा, विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों, और बुजुर्गों की सुरक्षा।

स्वास्थ्य और शिक्षा: स्वास्थ्य सेवाएं, स्कूल, और शिक्षा के अवसर।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 1.3.2025 को भारत मंडपम में एक टीवी समाचार चैनल के परिचर्चा सम्मेलन के एक सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने भारत में जीवन और कारोबार में सरलता के लिए हजारों की संख्या में नियम-कायदे खत्म किए हैं, जो समय के साथ पुराने पड़ गए थे। श्री मोदी ने यहां कहा, ‘‘हमारा मकसद है. देश के लोगों को जीवन जीने में आसानी दो, कारोबार करने की आसानी दो, उड़ने के लिए खुला आसमान दो प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘एक दशक के भीतर, हमने लगभग 1,500 ऐसे कानूनों को समाप्त कर दिया, जो अपनी प्रासंगिकता खो चुके थे, जिनमें से कई ब्रिटिश काल के थे।”

इस संबंध में उन्होंने बांस काटने से जुड़े कानून और आयकर विवरण प्रस्तुत करने की प्रक्रिया को आसान बनाने का विशेष रूप से उल्लेख किया। श्री मोदी ने कहा, ‘‘बांस पूर्वोत्तर में आदिवासी समुदायों के जीवन का एक अभिन्न अंग है। पहले, बांस काटने पर लोगों को जेल हो जाती थी, क्योंकि इसे पेड़ माना जाता था और इस पर पेड़ से संबंधित कानून लागू होते थे। हमने औपनिवेशिक काल के ऐसे कानूनों को समाप्त कर दिया। अब, आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने जैसी प्रक्रिया भी मिनटों में पूरी हो जाती है और कुछ ही दिनों में रिफंड जारी हो जाता है।” श्री मोदी ने कहा, ‘‘उनकी सरकार ‘छोटे तंत्र से बड़े काम के मंत्र’ पर काम करती है ताकि शासन-प्रशासन में कुशलता हो।

जीवन की सरलता: महत्व

जीवन की सरलता का महत्व, व्यक्तियों और समुदायों के जीवन की गुणवत्ता की एक व्यापक तस्वीर उपलब्ध कराने की इसकी क्षमता से उपजा है। जीवन की सरलता एक प्रगति सूचक के रूप में कार्य करती है, जिससे नीति निर्माताओं को यह आकलन करने में सहायता मिलती है कि उनकी नीतियां और कार्यक्रम निवासियों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने में कितने प्रभावी हैं।

नीति निर्माता यह आकलन कर सकते हैं कि नागरिकों के लिए बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए उन्हें अपने प्रयासों को किस दिशा में निर्देशित करना चाहिए।परिणामस्वरूप, जीवन की सरलता नीति निर्माताओं के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है, जिसका उपयोग वे अपनी गतिविधियों के प्रभाव का आकलन करने तथा आवश्यकतानुसार अपने तरीकों को समायोजित करने में कर सकते हैं।

नीति निर्माता उन क्षेत्रों की पहचान कर सकते हैं जिन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है, तथा जीवन की सरलता रैंकिंग का विश्लेषण करके तदनुसार संसाधनों का वितरण कर सकते हैं।नीति निर्माता यह गारंटी दे सकते हैं कि संसाधन आवंटन निर्णयों को सूचित करने के लिए जीवन की सरलता स्कोर का उपयोग करके संसाधनों का उपयोग सबसे प्रभावी और कुशल तरीके से किया जाएगा। 

नीति निर्माता बुनियादी ढांचे, सेवाओं और सुविधाओं में निवेश करके निवेशकों और व्यवसायों के लिए अधिक आकर्षक वातावरण बना सकते हैं, जिससे जीवन की सरलता में सुधार हो।जब निवेशक और व्यवसाय किसी शहर या देश की ओर आकर्षित होते हैं, तो वे अपने साथ नए रोजगार, नई प्रौद्योगिकियां और नए विचार लेकर आते हैं, जो आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकते हैं और निवासियों के लिए नए अवसर पैदा कर सकते हैं।इससे आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि के एक अच्छे चक्र में योगदान मिल सकता है, जिससे पूरे समुदाय को लाभ होगा।

जीवन की सरलता: सूचकांक

जीवन सरलता सूचकांक (ईओएलआई) जीवन की गुणवत्ता और विभिन्न शहरी विकास प्रयासों के प्रभाव का आकलन करने का एक उपकरण है। इसे आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है। 

जीवन सरलता सूचकांक के मुख्य उद्देश्य निम्न हैं:

सतत विकास लक्ष्यों सहित व्यापक विकासात्मक परिणाम प्राप्त करने के लिए कार्रवाई आरंभ करना।

साक्ष्य-आधारित नीति-निर्माण हेतु डेटा एकत्र करें।

विभिन्न शहरी नीतियों और कार्यक्रमों के प्रभावों का मूल्यांकन और तुलना करें।

नगर सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के बारे में नागरिकों की धारणाएं प्राप्त करें और इसे उनके बीच संचार के आधार के रूप में उपयोग करें।

जीवन सरलता सूचकांक 111 शहरों में रहने वाले भारतीय निवासियों की खुशहाली का आकलन चार मानदंडों के आधार पर करता है: जीवन की गुणवत्ता, आर्थिक क्षमता, स्थिरता और निवासियों की धारणा सर्वेक्षण।

"जीवन की गुणवत्ता" पर पहला स्तंभ उन विभिन्न कारकों की समझ को प्रकट करता है जो एक सभ्य शहरी अस्तित्व में योगदान करते हैं। इसका उद्देश्य सस्ते आवास, स्वच्छ जल तक पहुंच, बुनियादी शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं, सुरक्षा और मनोरंजन के अवसर जैसी आवश्यकताओं के प्रावधानों का विश्लेषण करके भारत के बड़े शहरों में जीवन की गुणवत्ता के बारे में समग्र दृष्टिकोण की जांच करना है। यह समग्र सूचकांक स्कोर का 35% है।

"आर्थिक क्षमता" का दूसरा स्तंभ किसी शहर में आर्थिक विकास के स्तर और उनके सामने आने वाली असमानताओं का आकलन करके नागरिकों की आर्थिक भलाई का आकलन करता है। यह स्तंभ समग्र सूचकांक स्कोर में 15% का योगदान देता है।

तीसरा स्तंभ हरित स्थान की उपलब्धता, हरित भवन संवर्धन, ऊर्जा उपयोग, वायु और जल जैसे प्राकृतिक संसाधनों की गुणवत्ता तथा शहर की प्राकृतिक आपदाओं को सहन करने की क्षमता के संदर्भ में " स्थायित्व" का आकलन करता है। अंतिम सूचकांक स्कोर में इसका भार 20% है।

सूचकांक को और बेहतर बनाने के लिए नागरिक धारणा सर्वेक्षण (सीपीएस) किया गया। यह नागरिकों की धारणाएँ प्रदान करता है और उन्हें अपने-अपने शहरों में विकास की मात्रा और गुणवत्ता का आकलन करने में मदद करता है। सीपीएस स्तंभ समग्र सूचकांक स्कोर का 30% है।

इस वर्ष (2025), आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा किए गए मूल्यांकन में 111 शहरों ने भाग लिया। इस सूची के अनुसार, बैंगलोर शीर्ष पर है, उसके बाद पुणे और फिर अहमदाबाद, वडोदरा, इंदौर और ग्रेटर मुंबई का स्थान है। ये शहर न केवल रहने की स्थिति के मामले में उच्च स्थान पर हैं, बल्कि भारत के सबसे समृद्ध शहरों में भी शामिल हैं, जो उन्हें व्यापार और निवेश के लिए प्रमुख स्थान बनाता है।

सरलता और सुधार उपाय पर भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने सुधारों की योजना बनाते समय "सरलता" बनाए रखने पर जोर दिया। उन्होंने पहचान संख्या को एकीकृत करने जैसे उपाय सुझाए ताकि जीवन सरल हो और सेवाएँ सुगमता से उपलब्ध हों।

(नवभारत टाइम्स)

जीवन की सरलता: सर्वोत्तम अंतर्राष्ट्रीय प्रथाएँ

मानव विकास सूचकांक (एचडीआई): एचडीआई एक समग्र सूचकांक है जो मानव विकास के तीन क्षेत्रों में किसी देश की औसत उपलब्धियों का आकलन करता है: लंबा और स्वस्थ जीवन जीना, शिक्षा तक पहुंच होना, और स्वीकार्य जीवन स्तर होना।

बेहतर जीवन सूचकांक: यह आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) द्वारा निर्मित एक इंटरैक्टिव उपकरण है जो उपयोगकर्ताओं को आवास, शिक्षा और कार्य-जीवन संतुलन जैसे 11 कल्याणकारी कारकों के आधार पर विभिन्न देशों में कल्याण की तुलना करने की अनुमति देता है।

सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी): सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2015 में गरीबी उन्मूलन, पर्यावरण संरक्षण और सभी लोगों के लिए शांति एवं समृद्धि सुनिश्चित करने हेतु अपनाए गए 17 लक्ष्यों की एक श्रृंखला है । ये एसडीजी बुनियादी सेवाओं तक पहुँच, पर्यावरणीय स्थिरता और आर्थिक विकास सहित विभिन्न कल्याणकारी मुद्दों को संबोधित करते हैं।

आर्थिक खुफिया इकाई द्वारा जारी वैश्विक जीवनक्षमता सूचकांक 30 से ज़्यादा गुणात्मक और मात्रात्मक मानदंडों के आधार पर सबसे रहने योग्य शहरों का आकलन करता है, जिन्हें पाँच श्रेणियों में विभाजित किया गया है: -

स्थिरता (25%),

स्वास्थ्य सेवा (20%), 

संस्कृति और पर्यावरण (25%), 

शिक्षा (10%), और 

बुनियादी ढाँचा (20%)

शासन और सार्वजनिक सेवाओं का जीवन की सरलता में योगदान:

जीवन की यह सरलता मुख्यतः शासन की नीतियों और सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। सुशासन और प्रभावी सेवाएँ न केवल नागरिकों का बोझ कम करती हैं, बल्कि लोकतंत्र को भी मज़बूत आधार प्रदान करती हैं।

शासन का प्रमुख उद्देश्य नागरिकों को सुरक्षा, सुविधा और समान अवसर उपलब्ध कराना है। अच्छा शासन वही है जिसमें पारदर्शिता हो, निर्णय समय पर हों और प्रत्येक वर्ग तक योजनाओं का लाभ पहुँचे। सुशासन नागरिक जीवन की सरलता का सबसे बड़ा आधार है, क्योंकि यह जटिल प्रक्रियाओं को आसान बनाकर आमजन का जीवन सुगम करता है।

सार्वजनिक सुविधाएँ सभी के लिए आवश्यक सुविधाएँ हैं, जैसे पानी, स्वास्थ्य सेवा, बिजली, सार्वजनिक परिवहन और स्कूल। इनके प्रावधान में सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और एक बार ये सुविधाएँ उपलब्ध हो जाने पर, इनका लाभ कई लोगों को मिल सकता है। 

संसाधनों की सीमित संख्या और जनसंख्या की आय में अंतर के कारण, सार्वजनिक सुविधाएँ सभी को, चाहे उनकी आर्थिक स्थिति कुछ भी हो, आवश्यक वस्तुएँ उपलब्ध कराने में मदद करती हैं। प्रत्येक व्यक्ति का मूल अधिकार है कि उसे उन संसाधनों और सुविधाओं तक पहुँच मिले जो उसके जीवनयापन में सहायक हों। इसलिए, सरकार ऐसी सुविधाओं का प्रावधान करती है। 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि भारत 2047 तक एक विकसित अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। 79वें (उनासीवें) स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि सरकार जीवन की बुनियादी सुविधाओं को नागरिकों का हक़ मानती है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 30.9.2023 को देश के 50 हजार से अधिक युवाओं को सरकार के विभिन्न विभागों में नियुक्ति के पत्र वितरित किये और उनका आह्वान किया कि वे देश की जनता जनार्दन के जीवन में सरलता लाने के लिए सत्य निष्ठा से खुद को खपाने के लिए तैयार रहें। 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत सरकार के कर्मचारी के तौर पर आप सभी को बड़े दायित्वों को निभाना है। आप जिस भी पद पर रहें, जिस भी क्षेत्र में काम करें, आपकी सर्वोच्च प्राथमिकता, देशवासियों की जीवन की सरलता ही होनी चाहिए।

विभिन्न क्षेत्रो में जीवन में सरलता लाने के लिए सरकार के द्वारा किये गये कार्य:

i सार्वजनिक सेवाओं के क्षेत्र में जीवन में सरलता लाने के लिए सरकार के द्वारा किये गये कार्य:

क्र.सं. क्षेत्र सरकारी योजना/ अभियान सरकार के द्वारा किये गये कार्य

1 शिक्षा मध्याह्न भोजन योजना बच्चों को पौष्टिक भोजन देकर विद्यालयों में नामांकन और उपस्थिति बढ़ाई।

समग्र शिक्षा अभियान स्कूलों में आधारभूत ढाँचे और शिक्षण की गुणवत्ता को बेहतर बनाया।

डिजिटल शिक्षा और ऑनलाइन प्लेटफार्म बच्चों को घर बैठे शिक्षा उपलब्ध कराई ।

2 स्वास्थ्य आयुष्मान भारत योजना देश की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना।

ग़रीब परिवारों को निःशुल्क स्वास्थ्य बीमा  (5 लाख तक) उपलब्ध कराया।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को गाँव-गाँव तक पहुँचाया।

स्वास्थ्य उपकेंद्र, एएनएम, आशा कार्यकर्ता और मोबाइल स्वास्थ्य इकाई की व्यवस्था।

प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना सरकारी जनऔषधि केंद्रों पर सस्ती दवाइयाँ उपलब्ध कराना।

मिशन इन्द्रधनुष बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए टीकाकरण अभियान।

स्वास्थ्य और डिजिटल पहल ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन सेवा– ऑनलाइन डॉक्टर परामर्श।

स्वास्थ्य कार्ड और डिजिटल स्वास्थ्य मिशन।

मातृ एवं शिशु कल्याण योजनाएँ जननी सुरक्षा योजना, पोषण अभियान, एएनसी जाँचें।

3 परिवहन

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ग्रामीण क्षेत्रों को पक्की सड़कों से जोड़ा।

मेट्रो और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट शहरी परिवहन को तेज़ और सुगम बनाया।

राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना लंबी दूरी की यात्रा को सरल और सुरक्षित बनाया।

4 जल–बिजली जल जीवन मिशन हर घर तक नल से स्वच्छ जल पहुँचाने का लक्ष्य।

सौभाग्य योजना देशभर के सभी घरों तक बिजली कनेक्शन पहुँचाना।

ऊर्जा दक्षता कार्यक्रम एलईडी बल्ब और उपकरणों से बिजली की बचत।

5 सामाजिक सुरक्षा प्रधानमंत्री जनधन योजना हर नागरिक के लिए बैंक खाता और वित्तीय समावेशन।

पेंशन योजनाएँ (अटल पेंशन योजना, वृद्धावस्था पेंशन) वृद्ध और निर्बल नागरिकों को आर्थिक सहारा।

मनरेगा ग्रामीण गरीबों को मज़दूरी और रोज़गार की गारंटी।

6 न्याय

ई-कोर्ट्स परियोजना ऑनलाइन न्यायिक सेवाएँ और केस की जानकारी।

लोक अदालतें छोटे-मोटे विवादों का शीघ्र और सरल निपटारा।

न्याय तक आसान पहुँच नि:शुल्क विधिक सहायता ज़रूरतमंदों को उपलब्ध कराई गई।

7 पुलिस सुधार तकनीकी सुधार सीसीटीएनएस और आईसीजेएस की शुरुआत।

ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करने और केस ट्रैकिंग की सुविधा।

सामुदायिक पुलिसिंग "जन मित्र पुलिस", "मैत्री", "मीटिंग विद सिटीजन" जैसी योजनाएँ विभिन्न राज्यों में।

महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए कदम महिला हेल्पलाइन (181), आपातकालीन नंबर 112, और महिला पुलिस थाने।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और सखी केंद्र जैसी योजनाओं से सहयोग।

ii आवास और शहरी नियोजन के क्षेत्र में जीवन में सरलता लाने के लिए सरकार के द्वारा किये गये कार्य:

क्र.

सं. क्षेत्र सरकारी योजना/ अभियान सरकार के द्वारा किये गये कार्य

1 आवास प्रधानमंत्री आवास योजना गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को पक्के मकान उपलब्ध कराना।

ब्याज सब्सिडी और वित्तीय सहायता।

“सभी के लिए आवास” लक्ष्य।

राज्य स्तरीय आवास बोर्ड योजनाएँ सस्ती दरों पर फ्लैट और भूखंड उपलब्ध कराना।

2 शहरी नियोजन स्मार्ट सिटी मिशन 100 शहरों में स्मार्ट ट्रैफिक, डिजिटल सेवाएँ, हरित क्षेत्र और बेहतर जीवन सुविधाएँ।

अटल मिशन फॉर रीजूवनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन स्वच्छ जल आपूर्ति, सीवरेज, पार्क और सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था।

स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) कचरा प्रबंधन, सार्वजनिक शौचालय, सफाई व्यवस्था।

मेट्रो रेल और सार्वजनिक परिवहन परियोजनाएँ दिल्ली, लखनऊ, अहमदाबाद, चेन्नई आदि शहरों में मेट्रो।

iii पर्यावरण के क्षेत्र में जीवन में सरलता लाने के लिए सरकार के द्वारा किये गये कार्य:

क्र.सं. सरकारी योजना/ अभियान सरकार के द्वारा किये गये कार्य

1 राष्ट्रीय हरित अधिकरण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड औद्योगिक प्रदूषण, नदी-नालों और वायु प्रदूषण पर नियंत्रण।

2 राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन गंगा और सहायक नदियों की सफाई, सीवरेज प्रबंधन और घाटों का संरक्षण।

3 अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और अक्षय ऊर्जा कार्यक्रम सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और उजाला योजना का प्रचार।

4 वृक्षारोपण और हरित अभियान “एक पेड़ माँ के नाम”, “एक छात्र एक वृक्ष”, “ग्रीन इंडिया मिशन” और राज्य स्तरीय पौधारोपण कार्यक्रम।

5 प्लास्टिक प्रतिबंध और अपशिष्ट प्रबंधन एकल उपयोग प्लास्टिक पर रोक और अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन।

iv अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में जीवन में सरलता लाने के लिए सरकार के द्वारा किये गये कार्य:

क्र. सं. क्षेत्र सरकारी योजना/ अभियान सरकार के द्वारा किये गये कार्य

1 वित्तीय समावेशन प्रधानमंत्री जनधन योजना हर नागरिक का बैंक खाता।

सब्सिडी और लाभ सीधे बैंक खातों में ।

2 डिजिटल लेन-देन •डिजी - धन अभियान

•लकी ग्राहक योजना

•डिजी -धन व्यापार योजना

•प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान भीम ऐप, UPI, रुपे कार्ड जैसी सुविधाएँ।

कैशलेस लेन-देन को बढ़ावा।

3 स्वरोज़गार और उद्यमिता स्टार्टअप इंडिया, 

स्टैंड-अप इंडिया, 

मुद्रा योजना

प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना छोटे कारोबारियों, युवाओं और स्ट्रीट वेंडर्स को किफायती ऋण प्रदान करने के लिये लॉन्च की।

कौशल विकास योजना युवाओं को प्रशिक्षण।

4 ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूती मनरेगा ग्रामीण गरीबों को रोज़गार की गारंटी।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि किसानों को प्रत्यक्ष आर्थिक सहायता।

किसान क्रेडिट कार्ड किसानों को उनकी खेती और कृषि खरीद के लिये समय पर एवं पर्याप्त ऋण सहायता प्रदान करने के लिये शुरू की गई थी।

पीएम किसान

केंद्र सभी भूमिधारक किसानों के बैंक खातों में 6,000 रुपए की राशि प्रतिवर्ष हस्तांतरित करता है।

पीएम किसान मोबाइल एप: इसे राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र द्वारा विकसित किया गया है।

किसान रेल

किसान रेल पहली मल्टी कमोडिटी ट्रेन है। भारतीय रेलवे ने देवलाली (महाराष्ट्र) से दानापुर (बिहार) तक पहली किसान रेल की शुरुआत की।

5 वस्तु एवं सेवा कर सुधार पूरे देश में एकीकृत कर व्यवस्था।

6 सामाजिक सुरक्षा और बीमा योजनाएँ प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, 

अटल पेंशन योजना असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों और गरीबों को सुरक्षा।

7 'समग्र बुनियादी ढाँचे' का विकास उड़ान 4.1

एक क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना । इसका उद्देश्य क्षेत्रीय मार्गों पर किफायती लेकिन आर्थिक रूप से व्यवहार्य और लाभदायक उड़ानें शुरू करना।

गति शक्ति

'समग्र बुनियादी ढाँचे' के विकास के लिये 100 लाख करोड़ रुपए की परियोजना ।

भविष्य में युवाओं के लिये रोज़गार के अवसरों का एक स्रोत।

v डिजिटल विभाजन को कम करने के क्षेत्र में सरकार के द्वारा किये गये कार्य:

"समकालीन युग में, आवश्यक सेवाओं, शासन, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आर्थिक अवसरों तक पहुँच डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से तेज़ी से बढ़ रही है। संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार की इन तकनीकी वास्तविकताओं के आलोक में पुनर्व्याख्या की जानी चाहिए । विभाजन को पाटना अब केवल नीतिगत विवेक का मामला नहीं रह गया है, बल्कि यह गरिमापूर्ण जीवन, स्वायत्तता और सार्वजनिक जीवन में समान भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए संवैधानिक अनिवार्यता बन गया है।

जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र, व्यापार लाइसेंस, भवन निर्माण अनुमति और परमिट जैसी सरकारी सेवाएँ अब ऑनलाइन तेज़ी से और अधिक कुशलता से प्रदान की जा सकती हैं। परंपरागत रूप से, इन प्रक्रियाओं के लिए नागरिकों या व्यवसायों को सरकारी कार्यालयों में जाना पड़ता था, सही विभाग ढूँढ़ना पड़ता था, लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ता था, फ़ॉर्म भरने पड़ते थे, शुल्क का भुगतान करना पड़ता था और दस्तावेज़ों की फ़ोटोकॉपी संलग्न करनी पड़ती थी। यदि कोई त्रुटि हो जाती थी, तो यह समय लेने वाली प्रक्रिया अक्सर दोहरानी पड़ती थी।

ई-गवर्नेंस सेवाओं की डिलीवरी को ऑनलाइन करके इस अनुभव में क्रांति ला रहा है। नागरिक घर बैठे ही फॉर्म भर सकते हैं, स्कैन किए गए दस्तावेज़ संलग्न कर सकते हैं, भुगतान कर सकते हैं और अनुरोध जमा कर सकते हैं। इससे समय की बचत होती है और यात्रा की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। मोबाइल ऐप्स सुविधा को और बढ़ाते हैं, जिससे चलते-फिरते सेवाओं का लाभ उठाया जा सकता है।

ई-गवर्नेंस मॉड्यूल नागरिकों, व्यवसायों और सरकारी कार्यालयों के बीच दूरस्थ संपर्क को सुगम बनाते हैं, जिससे बिचौलियों की आवश्यकता समाप्त हो जाती है और भ्रष्टाचार के अवसर कम हो जाते हैं। यह सीधा संपर्क सुनिश्चित करता है कि नागरिकों और व्यवसायों को बिना किसी अनुचित प्रभाव या रिश्वतखोरी के सटीक जानकारी और सेवाएँ प्राप्त हों।

सरकारी सेवाओं का पारंपरिक कागज़-आधारित वितरण अकुशल, समय लेने वाला और त्रुटि-प्रवण होता है, और अक्सर व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों के कारण इसमें बाधा उत्पन्न होती है। ई-गवर्नेंस अनुप्रयोग इन प्रक्रियाओं को स्वचालित करके उन्हें सुव्यवस्थित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप निर्णय लेने और सेवा वितरण में तेज़ी आती है। मैन्युअल से डिजिटल प्रक्रियाओं में यह बदलाव मानवीय सीमाओं को दूर करके सेवा वितरण की मापनीयता और दक्षता को बढ़ाता है।

क्र. सं. सरकारी योजना/ अभियान सरकार के द्वारा किये गये कार्य

1 डिजिटल इंडिया अभियान (2015) “सभी को इंटरनेट और ई-गवर्नेंस” का लक्ष्य। सरकारी सेवाएँ ऑनलाइन उपलब्ध (आधार, पासपोर्ट, पेंशन, प्रमाणपत्र आदि)।

2 को-विन एप और डिजिटल प्रमाणपत्र को-विन एक क्लाउड-आधारित आईटी प्लेटफॉर्म है, जो भारत के कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम के प्रत्येक मिनट का विवरण रखता है, जिसमें लाभार्थियों को पंजीकृत करना, टीकाकरण केंद्र आवंटित करना, लाभार्थियों को उनके टीकाकरणकर्त्ता के नाम के साथ संदेश भेजना और कोल्ड स्टोरेज में दवा की शीशियों की लाइव निगरानी शामिल है।

3 भारतनेट परियोजना देश के 2.5 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड इंटरनेट से जोड़ना।

4 जनधन–आधार–मोबाइल त्रिनेत्र बैंक खाते (जनधन), पहचान (आधार) और मोबाइल को जोड़ा।

5 कॉमन सर्विस सेंटर गाँवों में ई-सेवा केंद्र खोले गए। नागरिकों को बैंकिंग, बीमा, सरकारी प्रमाणपत्र और ऑनलाइन सेवाएँ पास के गाँव में ही उपलब्ध।

6 डिजिटल साक्षरता अभियान ग्रामीण नागरिकों, विशेषकर महिलाओं और युवाओं को कंप्यूटर और मोबाइल चलाना सिखाना।

7 ऑनलाइन शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ दीक्षा पोर्टल, स्वयं पोर्टल, ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन सेवा। गाँव-गाँव तक शिक्षा और स्वास्थ्य पहुँचाना आसान हुआ।

8 यूपीआई और डिजिटल भुगतान प्रणाली भीम ऐप, रुपे कार्ड, यूपीआई भुगतान। कैशलेस अर्थव्यवस्था और सुरक्षित लेन-देन।

9 उपयोगिता बिलों का इलेक्ट्रॉनिक भुगतान अनेक विद्युत् निगमो और विभागो ने बिजली बिलों के इलेक्ट्रॉनिक भुगतान की व्यवस्था लागू की ।

10 बीमा प्रीमियम का इलेक्ट्रॉनिक भुगतान

असुविधाओं को कम करने के लिए, जीवन बी

Laxmi • 1 week ago
IIPA Society & History • 1 week ago

Leave a comment

Related articles
IIPA into Society & History
...
Social Media: Opportunities and Challenges

One April night in 2021, as India gasped for oxygen during the brutal second wave of COVID-19, a desperate tweet from a young man in Delhi reached thousands within minutes. Strangers responded, volunteers mobilized, and within hours an oxygen cylinder was delivered to his family. 

comment 0
66
IIPA into Society & History
...
Dr Sarvepalli Radhakrishnan's Philosophical Legacy: Metaphysics, Ethics, Aesthetics and their Relevance to Public Administration

The philosopher, the second President of India and most importantly the great teacher, Dr S Radhakrishnan doesn't need any introduction.

comment 0
1065
IIPA into Society & History
...
Reflection of Dr Sarvepalli Radhakrishnan’s Philosophical and Educational Thought in the Present Education System

Many Saints, Rishis, intelligent people, educators, and philosophers were born in our land. These great individuals illuminated the entire world with their knowledge and wisdom in India. 

comment 0
1049
IIPA into Society & History
...
Sarvepalli Radhakrishnan: His Role in Education

Many Saints, Rishis, erudite individuals, educators, and philosophers were born in our wonderful land. These great individuals transmitted the light of their knowledge and wisdom throughout the world, not just in India. Dr. Sarvepalli Radhakrishnan, a prominent Indian philosopher, scholar, and statesman, was born on September 5, 1888, in Tiruvallur district of Tamil Nadu, India.

comment 0
1470
IIPA into Society & History
...
Dr. S. Radhakrishnan Educational Ideology with New Education Policy (2020) Perspective

The paper seeks to explore the contributions of Shri S Radhakrishnan as a Philosopher and as India's Stalwart Academician. Dr. S. Radhakrishnan was a contemporary idealistic philosopher and an ardent preacher of Indic philosophy.

comment 0
1103
IIPA into Society & History
...
Applying Radhakrishnan's philosophical ideas to Today's Challenges: Climate Change as a Case Study.

This paper explores the relevance of Dr. S. Radhakrishnan philosophical teachings. It addresses one of the most pressing issues of our time: climate change.

comment 0
343
IIPA into Society & History
...
Intuition as the basis for World Soul- Vasudhaiva Kutumbakam

This paper attempts to delineate the ethical foundations of Hinduism as perceived in Dr S. Radhakrishnan’s thought, largely dominated by Veda̅nta philosophy.

comment 0
293
IIPA into Society & History
...
Dr. S. Radhakrishnan: An Educationist Philosopher whose Thoughts Guided the Indian Education Sector

Dr. Sarvepalli Radhakrishnan (1888-1975) was a prominent Indian scholar, philosopher, and statesman who influenced academic circles during the 20th century. 

comment 0
2936
IIPA into Society & History
...
Dr Sarvepalli Radhakrishnan: The Tall Amongst the Tallest on Dharma and Democracy

Like a luminous thread woven through Indian thought, dharma, the path of righteousness, ignites the sacred flame of humanity within. By steadfastly walking this path, we illuminate the way for truth’s eternal victory, Satyameva Jayate.

comment 0
1352
IIPA into Society & History
...
Sarvapalli Radhakrishnan in the Soviet Union: The Philosopher – Diplomat

Dr Sarvepalli Radhakrishnan (1888-1975) was an extraordinary philosopher, educator and statesman whose ideas and work had evolved in the socio-political milieu of colonial India. Dr Radhakrishnan (henceforth SR) believed that political subjugation interfered with the inner freedom of an individual. 

comment 0
1020
IIPA into Society & History
...
Visvamanav: The Philosopher as Statesman

Every culture has a vision of a philosopher and a statesman presiding over its destiny. The wisdom of the philosopher will guide the statesman to govern the realm enhancing the prosperity and wellbeing of the people and ensuring their security.

comment 0
212
IIPA into Society & History
...
Being and Becoming: S. Radhakrishnan on Spiritual Values to Attain Shanti

S. Radhakrishnan saw India as a land where the spirit in human beings comes to the fore unbridled by fear or hatred, establishing unity with the entire creation in the love of God. India, since times immemorial, had seen the truth of being connected in a mysterious way to everything that constitutes the creation. 

comment 0
547
IIPA into Society & History
...
Bharat Ratna Radhakrishnan: A Quest for Being in Becoming

Bharat Ratna Dr. Sarvepalli Radhakrishnan was the first Vice-President (1952-62) and second President (1962-67) of India. 

comment 0
1251
IIPA into Society & History
...
Rooted IN Tradition: Himachali Dham Cuisine and Sustainable Food Practices

Himachal Pradesh is famous for its divine and pristine beauty. Himachal’s diverse geographical and cultural heritage serves for the diverse cuisines. 

comment 0
529